सोमवार, 31 अगस्त 2015

गजल

आइ हमरा बुझा रहल अछि
छै कियो जे नचा रहल अछि

भरि जनम जाल बनि कऽ रहलहुँ
अंतमे ओ बझा रहल अछि

आइ किछु काल्हि किछु तँ परसू
किछु ने किछु सभ बचा रहल अछि

किछु तँ छै बात जे टुकुर टुक
ओकरे दिस  तका रहल अछि

राति दिन भोर साँझ दुपहर
नाम तोरे रटा रहल अछि

सभ पाँतिमे 2122-12-122 मात्राक्रम अछि

 चारिम शेरक दोसर पाँतिमे एकटा दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों