सोमवार, 5 दिसंबर 2016

गजल

एकै रातिमे फकीर भऽ गेलै
दुइए पाँतिमे कबीर भऽ गेलै

भरि देने रहै जै खाधि समस्याक
कनियें कालमे गँहीर भऽ गेलै

जे सुंदर इजोरिया लऽ कऽ नाचल
ग्रहणक नामपर अधीर भऽ गेलै

पहिने नाम बड़ सुनलकै विकासक
ओकर बाद सभ बहीर भऽ गेलै

मेटा देलकै निशान गरीबक
एनाही तँ सभ अमीर भऽ गेलै

सभ पाँतिमे 2221-212-1122 मात्राक्रम अछि
दोसर शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघु छूटक तौरपर अछि
किछु दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों