सोमवार, 25 सितंबर 2017

गजल

विषवंदन युगधर्म छै
परिवर्तन युगधर्म छै

जइमे खेने रोग हो
से बरतन युगधर्म छै

खाली अपने टा रही
से कतरन युगधर्म छै

खाली चाहथि मीठ रस
मधुगुंजन युगधर्म छै

बिन करने कल्याण नै
गठबंधन युगधर्म छै

सभ पाँतिमे 222-2212 मात्राक्रम अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

गजल

भाव शुद्ध हो त मोनमे भय कथीके
छोड़ि मृत्यु जीव लेल निश्चय कथीके

जे सृजन करै सफल करै से बिसर्जन
छूछ हाथ सब चलल ककर छय कथीके

शक्तिमे सदति रहल कतौ आइ धरि के
किछु दिनक उमंग फेर जय-जय कथीके

तालमेल गीतमे अवाजक जरूरी
शब्दमे सुआद नै तखन लय कथीके

जाति धर्मके बढल अहंकार कुन्दन
रहि विभेद ई समाज सुखमय कथीके

212-1212-122-122

© कुन्दन कुमार कर्ण

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शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

गजल

कियो डबल छै
कियो ढ़हल छै

सपन नयन के
बचल खुचल छै

गरीब लेखे
पवन अनल छै

सुगंध हुनकर
रचल बसल छै

कनी मनीपर
बहुत झुकल छै

सभ पाँतिमे 12-122 मात्राक्रम अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

गुरुवार, 14 सितंबर 2017

गजल

हटितो नै देरी
सटितो नै देरी

सत्ताके खातिर
कटितो नै देरी

छन भरिमे दुनिया
बटितो नै देरी

बढ़लाहा टिरबी
घटितो नै देरी

निष्ठा जे जागल
डटितो नै देरी

लड़की हो चंचल
पटितो नै देरी

संकटमे कोढिया
खटितो नै देरी

देहक की निश्चित
लटितो नै देरी

नवका छै कपड़ा
फटितो नै देरी

बिसरल नाओके
रटितो नै देरी

ओ हियमे कुन्दन
अटितो नै देरी

22-222

© कुन्दन कुमार कर्ण

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बुधवार, 13 सितंबर 2017

गजल

कियो कारी बुझलक कियो उज्जर कहलक
कियो शीशा बुझलक कियो पाथर कहलक

जाइ अबै छी बिन रोक टोक ओइ ठाम
कियो मालिक बुझलक कियो नौकर कहलक

गलत काज भेलापर अंतर नै रहलै
कियो साधू बुझलक कियो लोफर कहलक

जीवन ईहो छै आ जीवन ओहो छै
कियो अप्पन बुझलक कियो दोसर कहलक

उपेक्षित रहब अनचिन्हारक कपारमे
कियो चिंतक बुझलक कियो जोकर कहलक

सभ पाँतिमे 222-222-222-22 मात्राक्रम अछि
दू टा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

मंगलवार, 12 सितंबर 2017

गजल

हुनकर बात
पिपरक पात

देशक अगुआ
भेलै कात

तप्पत नोर
बसिया भात

जिवनक नाम
झंझावात

अनचिन्हार
केलक घात

सभ पाँतिमे 2221 मात्राक्रम अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

रविवार, 10 सितंबर 2017

गजल

गदहा सभ सरकार चलेतै
लुच्चा सभ दरबार चलेतै

जकरा लग ने पैसा कौड़ी
से कोना संसार चलेतै

जखने जागत सूतल जनता
आर चलेतै पार चलेतै

काँपै जकर मोन इजोतमे
ओ मार कि सम्हार चलेतै

बनतै गृहस्थ साधू बाबा
साधू सभ परिवार चलेतै



सभ पाँतिमे 22222222 मात्राक्रम अछि
दूटा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

गजल

चान दर्शनके लोलसा जागल घोघ उघारू प्रिय
राति पूनमके छै निहोरा नै आइ नकारू प्रिय

छल पिआसल ई मोन लिअ ने छातीसँ सटा हमरा
आश पूरा मिलनक करू दुन्नू हाथ पसारू प्रिय

फूल झाँपल पत्तासँ शोभा फुलबारिक नै दै छै
माथ परके चुनरी गुलाबी आस्तेसँ ससारू प्रिय

प्रेम जीवन प्रेमे जगतमे रहि जाइ अमर छै ये
सात जन्मक संगी बना परमात्माक पुकारू प्रिय

नै पुछू लागैए मजा केहन नैन मिला कुन्दन
तीर नैनक सोझे करेजा पर मारि निहारू प्रिय

2122-2212-2221-1222

© कुन्दन कुमार कर्ण

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शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

गजल

टूटल हृदय के तार पंडीजी
नोरो रहलै उधार पंडीजी

देवतो पितर हाथ उठा लेला
जखने भेलथि शिकार पंडीजी

उजड़ल पुजड़ल गाछीमे असगर
तकने घूरथि बहार पंडीजी

खाली तड़िखाने देखि सकैए
जे एकै छै चमार पंडीजी

कहबा लेल तैंतीस कोटि देव
छथि मुदा अनचिन्हार पंडीजी

सभ पाँतिमे मात्राक्रम 222 222 222 अछि
दू टा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों