शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

गजल

भाव शुद्ध हो त मोनमे भय कथीके
छोड़ि मृत्यु जीव लेल निश्चय कथीके

जे सृजन करै सफल करै से बिसर्जन
छूछ हाथ सब चलल ककर छय कथीके

शक्तिमे सदति रहल कतौ आइ धरि के
किछु दिनक उमंग फेर जय-जय कथीके

तालमेल गीतमे अवाजक जरूरी
शब्दमे सुआद नै तखन लय कथीके

जाति धर्मके बढल अहंकार कुन्दन
रहि विभेद ई समाज सुखमय कथीके

212-1212-122-122

© कुन्दन कुमार कर्ण

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों