बुधवार, 13 सितंबर 2017

गजल

कियो कारी बुझलक कियो उज्जर कहलक
कियो शीशा बुझलक कियो पाथर कहलक

जाइ अबै छी बिन रोक टोक ओइ ठाम
कियो मालिक बुझलक कियो नौकर कहलक

गलत काज भेलापर अंतर नै रहलै
कियो साधू बुझलक कियो लोफर कहलक

जीवन ईहो छै आ जीवन ओहो छै
कियो अप्पन बुझलक कियो दोसर कहलक

उपेक्षित रहब अनचिन्हारक कपारमे
कियो चिंतक बुझलक कियो जोकर कहलक

सभ पाँतिमे 222-222-222-22 मात्राक्रम अछि
दू टा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों