फिल्म: आवारगी
(1990)
गीतकार: आनंद
बक्षी
गायक: गुलाम
अली
संगीतकार: अनु
मलिक
मात्राक्रमः 1222-1222-1222-1222 (बहर-ए-हजज)
चमकते चाँद को
टूटा हुआ तारा बना डाला
मेरी आवारगी
ने मुझको आवारा बना डाला
बड़ा दिलकश बड़ा
रंगीन हैं ये शहर कहते हैं
यहाँ पर हैं
हज़ारों घर घरों में लोग रहते हैं
मुझे इस शहर
ने गलियों का बंजारा बना डाला
चमकते चाँद को
टूटा.........
मैं इस दुनिया
को अक्सर देखकर हैरान होता हूँ
न मुझसे बन
सका छोटा सा घर दिन रात रोता हूँ
खुदाया तूं ने
कैसे ये जहां सारा बना डाला
चमकते चाँद को
टूटा.........
मेरे मालिक मेरा
दिल क्यूँ तड़पता है सुलगता है
तेरी मर्ज़ी
तेरी मर्ज़ी पे किसका ज़ोर चलता है
किसी को गुल
किसी को तूने अंगारा बना डाला
चमकते चाँद को
टूटा.........
यही आग़ाज़ था
मेरा यही अंजाम होना था
मुझे बरबाद
होना था मुझे नाकाम होना था
मुझे तक़दीर ने
तक़दीर का मारा बना डाला
चमकते चाँद को
टूटा.........
तक्तीअः
चमकते चाँ/द
को टूटा/ हुआ तारा/ बना डाला
122 2/1 2 22/ 12 22/12 22
मेरी आवा/रगी
ने मुझ/को आवारा/ बना डाला
12 22/12 2 2/ 1 222/12 22
बड़ा दिलकश/
बड़ा रंगी/न हैं ये शह/र कहते हैं
12 22/12 22/ 1 2 2 2/1 22 2
यहाँ पर हैं/
हज़ारों घर/ घरों में लो/ग रहते हैं
12 2 2/122 2/ 12 2 2/1 22 2
मुझे इस शह/र
ने गलियों/ का बंजारा/ बना डाला
12 2 2/1 2 22/ 1 222/12 22
मैं इस
दुनिया/ को अक्सर दे/खकर हैरा/न होता हूँ
1 2 22/1 22 2/ 12 22/12 22
न मुझसे बन/
सका छोटा/ सा घर दिन रा/त रोता हूँ
1 22 2/12 22/ 1 2 2 2/1 22 2
खुदाया तूँ/ने
कैसे ये/ जहां सारा/ बना डाला
122 2/1 22 2/ 12 22/12 22
मेरे मालिक/
मेरा दिल क्यूँ/ तड़पता है/ सुलगता है
12 22/12 2 2/ 122 2/122 2
तेरी मर्ज़ी/
तेरी मर्ज़ी/ पे किसका ज़ो/र चलता है
12 22/12 22/ 1 22 2/1 22 2
किसी को गुल/
किसी को तू/ने अंगारा/ बना डाला
12 2 2/12 2 2/ 1 222/12 22
यही आग़ा/ज़ था
मेरा/ यही अंजा/म होना था
12 22/1 2 22/ 12 22/1 22 2
मुझे बर्बाद
होना था मुझे नाकाम होना था
12 22/1 22 2/ 12 22/1 22 2
मुझे तक़दी/र
ने तक़दी/र का मारा/ बना डाला
12 22/1 2 22/ 1 2 22/12 22
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