मनोबल मनोरम बना देत निश्चित
मनोकामना सभ पुरा देत निश्चित
नियम ई सदा मोन राखब अहाँ हम
अपेक्षा उपेक्षित बना देत निश्चित
कते रोकि रखतै कते दाबि सकतै
बहल नोर दुनियाँ जरा देत निश्चित
कनी आचरण ठीक रखबै तँ अनुभव
गजल नीक सुंदर कहा देत निश्चित
कियो आइ पूजा करैए मुदा ओ
विसर्जन कऽ जल्दी भसा देत निश्चित
सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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