उजड़ल धरती उजड़ल गगन
जनता जानक भेलै हवन
झाँपल नेहक उघरल विरह
टुक टुक ताकै दू गो नयन
छै पावन भारत भूमिपर
संसद माने भड़ुआ भवन
बाहर योगासन साधि कऽ
भीतर केलक बहुते पतन
किछु शब्दे जीतै के कते
जे जे जीला तिनका नमन
सभ पाँतिमे 22-22-22-12 मात्राक्रम अछि। चारिम शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघुकेँ संस्कृतक परंपरानुसार दीर्घ मानल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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