अहाँ रहूँ घरे हम ठानि अबै छी
एहि पापी पेट लेल छानि अबै छी
रोटी पर नून नै घी पीबि सपना
हुनक भोजक मंत्र जानि अबै छी
कमौआ पुतक लातो सोहनगर
गरीब घरक कोड़ो गानि अबै छी
चानि पर तेलक अभाबे केश नै
कनियाँगतक खेत फानि अबै छी
गप्पक कोनो खतिहान नै भेलैए
'मनु' बैसू हम पीबि पानि अबे छी
हुनक भोजक मंत्र जानि अबै छी
कमौआ पुतक लातो सोहनगर
गरीब घरक कोड़ो गानि अबै छी
चानि पर तेलक अभाबे केश नै
कनियाँगतक खेत फानि अबै छी
गप्पक कोनो खतिहान नै भेलैए
'मनु' बैसू हम पीबि पानि अबे छी
(सरल वार्णिक बहर - वर्ण १३)
जगदानन्द झा 'मनु'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें