गुरुवार, 19 नवंबर 2009

गजल

गजल- रामलोचन ठाकुर

चलू तिरंगा कने उड़ा ली हर्जे की।
आजादी के रश्म पुरा ली हर्जे की॥
आजादी के अर्थ कोश मे जुनि ताकी।
आजादी के जश्न मना ली हर्जे की॥
शुल्क-मुक्त आयात स्कॉच-सैम्पेन होइछ।
शिक्षा स्वास्थ्यक शुल्क वृद्धि मे हर्जे की॥
देशक प्रगति विकास विदेशी पूँजी स।
संसद हैत निलाम होउक ने हर्जे की॥
सौ-हजार भसि गेल बाढ़ि मे भसए दिऔ।
राता-राती शेठ बनत किछु हर्जे की॥
रौदी-दाही सबदिना छै रहए दिऔ।
जनता बाढ़ि अकाल मरत किछु हर्जे की॥
गाम-देहातक बात बैकवार्डक लक्षण।
मेट्रो प्रगति निशान देश के हर्जे की॥
नेता जिन्दावाद रहओ आवाद सदा।
देश चलै छै एहिना चलतै हर्जे की॥
(विदेह ई-पत्रिकाक 21म अंकसँ साभार)

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