गुरुवार, 19 नवंबर 2009

गजल

गजल- वृषेश चन्द्र लाल

नजरि अहाँक चितकेर जूड़ा दैत अछि।
घुराकए एक क्षण जिनगी देखा दैत अछि।
धँसल डीहपर लोकाकए फेर स्वप्न महल
पाङल ठाढ़िमे कनोजरि छोड़ा दैत अछि॥

बजाकए बेर-बेर सोझे घुराओल छी हम
हँसाकए सदिखन हँसीमे उड़ाओल छी हम
बैसाकए पाँतिमे पजियाकए लगमे अपन
लतारि ईखसँ उठाकए खेहारल छी हम
सङ्केत एखनो एक प्रेमक बजा लैत अछि
जरए लेले राही जड़िसँ खरा दैत अछि
उठाकए उपर नीच्चा खसाओल छी हम
जड़ाकए ज्योति अनेरे मिझाओल छी हम
लगाकए आगि सिनेहक हमर रग-रगमे
बिना कसूर निसोहर बनाओल छी हम
झोंक एक आशकेर फेरो नचा दैत अछि
उमंगक रंगसँ पलकेँ सजा दैत अछि


(विदेह ई-पत्रिकाक 21म अंकसँ साभार)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों