गजल- वृषेश चन्द्र लाल
नजरि अहाँक चितकेर जूड़ा दैत अछि।
घुराकए एक क्षण जिनगी देखा दैत अछि।
धँसल डीहपर लोकाकए फेर स्वप्न महल
पाङल ठाढ़िमे कनोजरि छोड़ा दैत अछि॥
बजाकए बेर-बेर सोझे घुराओल छी हम
हँसाकए सदिखन हँसीमे उड़ाओल छी हम
बैसाकए पाँतिमे पजियाकए लगमे अपन
लतारि ईखसँ उठाकए खेहारल छी हम
सङ्केत एखनो एक प्रेमक बजा लैत अछि
जरए लेले राही जड़िसँ खरा दैत अछि
उठाकए उपर नीच्चा खसाओल छी हम
जड़ाकए ज्योति अनेरे मिझाओल छी हम
लगाकए आगि सिनेहक हमर रग-रगमे
बिना कसूर निसोहर बनाओल छी हम
झोंक एक आशकेर फेरो नचा दैत अछि
उमंगक रंगसँ पलकेँ सजा दैत अछि
(विदेह ई-पत्रिकाक 21म अंकसँ साभार)
- मुखपृष्ठ
- अनचिन्हार आखरक परिचय
- गजल शास्त्र आलेख
- हिंदी फिल्मी गीतमे बहर
- भजनपर गजलक प्रभाव
- अन्य भारतीय भाषाक गजलमे बहर
- समीक्षा/आलोचना/समालोचना
- गजल सम्मान
- गजलकार परिचय शृखंला
- गजलसँ संबंधित आडियो/वीडियो
- विश्व गजलकार परिचय शृखंला
- छंद शास्त्र
- कापीराइट सूचना
- अपने एना अपने मूँह
- गजलक इस्कूल
- गजलकार
- अर्चा-चर्चा-परिचर्चा
- आन-लाइन मोशायरा
- आशीष अनचिन्हारक रचना संसार
- मैथिली गजलसँ संबंधित आन लिंक, पन्ना ओ सामग्री
- Maithili Ghazal Books Download
- शेर जे सभ दिन शेर रहतै
गुरुवार, 19 नवंबर 2009
गजल
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
वृषेश चन्द्र लाल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें