गजल- रोशन जनकपुरी
नाचि रहल गिरगिटिया कोना, डर लगैए
साँच झूठमे झिझिरकोना, डर लगैए
कफन पहिरने लोक घुमए एम्हर ओमहर
शहर बनल मरघटके बिछौना, डर लगैए
हमरे बलपर पहुँचल अछि जे संसदमे
हमरे पढ़ाबे डोढ़ा-पौना, डर लगैए
आङनमे अछि गुम्हरि रहल कागजके बाघ
घर घरमे अछि रोहटि-कन्ना, डर लगैए
आँखि खोलि पढ़िसकी तऽ पढ़ियौ आजुक पोथी
घेँटकट्टीसँ भरल अछि पन्ना, डर लगैए
चलू मिलाबी डेग बढ़ैत आगूक डेगसँ
आब ने करियौ एहन बहन्ना, डर लगैए
(विदेह ई-पत्रिकाक 39म अंकसँ साभार)
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गुरुवार, 19 नवंबर 2009
गजल
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रोशन जनकपुरी
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
nice
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