शनिवार, 14 नवंबर 2009

गजल


सत्य तकबामे अछि मेहनति बड़, से आइ, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - से आइ)
असत्यक ताकिमे छथि ओ पियासल, गे दा, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - गे दा)



सुकाजमे देरी सेहो कखनो-काल होइए जे ककरोसँ तखन (२४ वार्णिक मात्रा)
मुदा सएह तर्कक बेढ़ बना लै छी, गै मा, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - गै मा)


अपन भावनाक अधीन नहि अछि लोकवेद से बूझल अछि (२४ वार्णिक मात्रा)
भावनाक लहरिपर उठै-डोलै छी, हौ भाइ, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - हौ भाइ)


मेहनतिक आसे टा छै आइ से गप बुझू कपारक बाते टा छै(२४ वार्णिक मात्रा)
प्रतिभा-जन्मजातपर जोर, बरगाही भाइ, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - बरगाही भाइ)



लोकक बूझब बेस जरूरी, मुदा देखू तँ ई भीड़क जादूगर (२४ वार्णिक मात्रा)
दै छी जखन-तखन भाषण-भाख, नेता आइ, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - नेता आइ)


बूझू भजार, इयार बड़ रास नहि भेटत आजुक व्यवस्थामे (२४ वार्णिक मात्रा)
मित्रक ताकिमे घुमै छी गामे-गामे, छी बौआइ, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - बौआइत)


जे प्रेमसँ करब, तँ से गप आगाँ बढ़बे टा करत फौदाइत (२४ वार्णिक मात्रा)
बड़जोरी बढ़ऽमे लागल छी, छी धड़फड़ाइ, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - धड़फड़ाइत)



आस भविष्यक लगेने, आस नीकक लगेने, धकियेने जाइत (२४ वार्णिक मात्रा)
खरापे भविष्यवाणी करै छी, मुँहचुड़ू नञि, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - मुँहचुड़ू नाति)


कनेक जोर लगाऊ तँ होएत गऽ किछु अद्भुत सन, देखा चाही (२४ वार्णिक मात्रा)
बिनु जोर आस लगबिते छी, ससुरारि जाइ, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - रहि ससुरारि)





ऊर्जा-परिणाम संगे रहैए ओ रहबे करैए, जोतल खेतमे(२४ वार्णिक मात्रा)
मोन हुस केने जे आस करै छी, ढेपियबइ, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - ढेपियबैत)


प्रेम संगीत होअए, फेरसँ जे बनाएब नव राग गजलक (२४ वार्णिक मात्रा)
द्विगुणित होएत बुझै छी, टेमी उसकाबइ, नहि जानि किएक? (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - टेमी उसकाबैत)


लोक बदलत से अछि मुदा मोनमे हम्मर सदिखन गुम्फित(२४ वार्णिक मात्रा)
सोचि, कनेक पलखति नै दै छी किए खौँझाइ, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - ई खौँझाएत)


अलंकारविहीन गहनासँ होइत प्रसन्न, अलंकारहीन मन “ऐरावत” (२४ वार्णिक मात्रा)
अलंकृत भऽ भेर छी, दोकान मनिहारि आइ, नहि जानि किएक (२४ वार्णिक मात्रा - रदीफ नहि जानि किएक - काफिया - खोलि दोकान मनिहारी)

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