गुरुवार, 1 नवंबर 2012

आन लाइन मोशयारा भाग-3


तेसर आन लाइन मोशायराक विषय पिता मने बाबू जी अछि. एकर शुरुआत परसू भोरसँ मानल जाए आ ई 15तारीखकेँ खत्म हएत.
Like ·  ·  · 2 October at 00:05 via Mobile
  • Ashish Anchinhar अपन गजल वा शेरो शाइरी एही निच्चामे दी.3 अक्टूबर 2012क भोरसँ ई शुरू हएत आ 15 अक्टूबर 2012केँ राति बारह बजे ई खत्म हएत. विजेताक घोषणा 18 तारीखकेँ हएत
    2 October at 23:17 via mobile · Edited · Like · 2
  • Amit Mishra नीक विषय
  • Chandan Jha September nahi october..!!
  • Ashish Anchinhar धन्यवाद चन्दन जी. ओना किछुए देर रहि गेल अछि ऐ मोशायराकेँ शुरू हेबामे.
    2 October at 23:25 via mobile · Like · 1
  • Amit Mishra एकटा रचनाकार बेसीसँ बेसी कते रचना पठा सकै छथि?
  • Ashish Anchinhar दसटा
    3 October at 09:01 via mobile · Like · 2
  • Ashish Anchinhar आइ भोरसँ ई मोशायरा चालू भेल अछि--
  • मिहिर झा शराब पर खुब लिखलहु बाबूजी
    अहां ले की लिखु नै बुझलहु बाबूजी
    काटी लिखि लिखि आखर गजल केर
    आवाज सुनि हम भगलहु बाबूजी
  • Ashish Anchinhar neek shuruaat mihir bhai...
  • मिहिर झा छोडलहु जखन मायक कोरा
    तैयार रही अहां बनि के घोडा
    चोर सिपाही खेल झिझिर कोना
    हम त सिपाही अहां बनी चोरा
  • Amit Mishra बाल गजल-58

    नानी गाम जेबै आइ बाबू संग
    सालक बाद एबै आइ बाबू संग

    जेबै हाट किनबै खाट अपना लेल
    ललका जौर लेबै आइ बाबू संग

    झारब झोल खीचब खोल बारब दीप
    सौँसे घर सजेबै आइ बाबू संग

    एलै छठि दिया बाती करब हुरदंग
    आकाशी चलेबै आइ बाबू संग

    गेबै गीत संगे मीत हम भरि राति
    टोलाकेँ नचेबै आइ बाबू संग

    गाछी देख बाछी देख आ खरिहान
    सब गैया चरेबै आइ बाबू संग

    राहरि दालि उसना भात आ तिलकोर
    कोरा बैस खेबै आइ बाबू संग

    मफऊलातु
    2221 तीन बेर

    अमित मिश्र
  • Avinash Jha Anshu ::::::::::::::::::गजल:::::::::::::::::::

    हरेक समस्या के समाधान बाबूजी ,
    धरतीक साक्षात भगवान बाबूजी ॥

    परेशानी कतबो रहै हुँनका मुदा ,
    राखथि चेहरा पर मुस्कान बाबूजी ॥

    संतानक दुख देख होइत परेशान,
    छथि ह्रदय के बड़ महान बाबूजी ॥

    मेहनत करथि ओ संतानक लेल,
    दथि निस्वार्थ कर्म केर ज्ञान बाबूजी ॥

    पावथि मावन हुँकने सँ पहचान
    ''अंशु'' कहथि सबहक शान बाबूजी ॥

    सरल वार्णिका बहर
    वर्ण - १४
    © अविनाश झा ''अंशु ''
  • पंकज चौधरी Bahut neek gajal Avinash Jha Anshu ji.....
  • Avinash Jha Anshu Dhanyabaad pankaj jee
    .......gajal vishay dekhba me easy lagal per likhe me difficult aichh.......
    4 October at 20:15 via mobile · Like · 1
  • Abhishek Singh Deepak Bahut neek gajal guruji.
    4 October at 20:21 via mobile · Edited · Like · 1
  • Abhishek Singh Deepak Bahut neek gajal guruji.
    4 October at 20:20 via mobile · Like · 1
  • Buchchu Babu Neek lagal Anshu ji.
    4 October at 21:36 via mobile · Like · 1
  • Amit Mishra एहि मोशायरामे भाग लेबाक लेल सब गजलकारकेँ निमंत्रन दै छी ।
  • Avinash Jha Anshu Humar gajal ke last line main typing mistake aichh......ekra ena padhi.......
    पावथि मानव हुँनके सँ पहचान,
    'अंशु' कहथि सबहक शान बाबूजी ॥
    6 October at 07:12 via mobile · Like · 1
  • Ira Mallick आसिन आस लगाओल सखिया
    कातिक आस लगाओल,
    हमते बाबूजी घर जेबै।
    दसो दिन दूर्गापूजा मेँ सखी सँग
    देवी पूजि मनेबै,

    हमते बाबुल घर जेबै।
    एतइ जगमग दीप दिवाली
    चौमुख दीप जरेबै,
    हमते बाबुल घर जेबै।
    बाबुजीक अँगना मेँ भाय भतीजा
    सँगहि खूब खेलेबै,
    हमते बाबुल घर जेबै।
    रेशमी साड़ी लाल पहिरबै
    सखी सँग मेला घूमबै,
    हमते बाबुल घर जेबै।
    आनि दिय पिया रेशमी साड़ी
    सोना कँगनमा गढ़ेबै,
    हमते बाबुल घर जेबै।
    गजल , वर्ण-30
    6 October at 13:19 via mobile · Like · 3
  • जगदानन्द झा 'मनु' रुबाइ
    देह प्राण सबटा बाबूजी देलन्हि 
    जे किछु छी एखन बाबूजी केलन्हि
    अपने रहि भूखे हमर पेट भरलन्हि
    सुधि अपन बिसरि हमरा मनुख बनेलन्हि
  • Ira Mallick साओन सोहाओन एलै बाबा के पतिया एलै
    खुशी सँ मगन मन डोलै
    आब ते नैहर जेबै।
    अँगना मेँ आमक छैँया 
    ताहि पर कुहकै कोयलिया

    गाछे लगेबै हम हिँडोला
    सखी सँग कजरी गेबै।
    हाथ मेँहदी के लाली
    चुनरी के रँग गुलाबी
    छम छम पायलिया छनकै
    घर आनँद लागै।
    साओन घटा घिर एलै
    खनखन कँगनमा बाजै
    छम छम बरखा मेँ भिजबै
    केकरो एको नहिँ सुनबै।
    पिया के भिजतै पगिया
    भिजतै सँग हमरो चुनरिया
    कोना सुखतै पगिया चुनरिया
    हम कनिको नहिँ सोचबै।
    गजल, वर्ण- 16
    6 October at 13:59 via mobile · Like · 2
  • ShantiLakshmi Choudhary गजल
    ’बाबू’, ’बाबूदी’, तैर गेला बाबुजी 
    मिश्री बोल, सिहैर गेला बाबुजी 

    हमली बेतिया, दुलली बितुआ, 

    बेटी-स्नेहे तोतैर गेला बाबुजी 

    कनहा-घोघरी, घुघुआ-घुमरी 
    लैह कोना पिछैर गेला बाबुजी 

    धोपब, डाँटब, सटकी, करची 
    मां पर तेँ लहैर गेला बाबुजी

    ऊनटी-बोकार, बेमार-बोखार, 
    धीक कष्टेँ कुहैर गेला बाबुजी 

    ’शांतिलक्ष्मी’ पितृ-स्मृति मे डुबल 
    आनैन नोर भैर गेला बाबुजी 

    .....सरल वार्णिक. वर्ण १२......
  • मिहिर झा Shanti Lakshmi Ji ker vaapasi par hardik badhai. Neek Gajal.
  • Ashish Anchinhar ShantiLakshmi Choudhary---बहुत नीक गजलक सङ्ग शान्ति जीक आपसी भेल अछि। हमरा उम्मेद अछि जे आब ई लगातार बनल रहतीह। सङ्गे-सङ्ग हमर अनुरोध जे जँ शान्ति जीक शोध कार्य खत्म भए गेल होइन्हि तँ ओ अरबी बहरपर सेहो धेआन देथि।..
  • जगदानन्द झा 'मनु' रुबाइ 
    बाबूजीक करेजमे सदिखन रहलहुँ
    नै अपन मोनमे हुनका हम रखलहुँ 
    छाहैर रौद पानिसँ सदिखन बचेलन्हि
    सेबाक बेड़मे हम बहाना रचलहुँ
  • Amit Mishra मोशायरा अपन अंतीम डेग बढ़ा रहल अछि मुदा बहुते गजलकार एखनो बचल छथि
    14 October at 11:26 via mobile · Like · 1
  • Amit Mishra गजल

    चेत जो रे बौआ जमाना बड खराप छै
    बाप छै बेटा बनल ,बेटा बनल बाप छै

    झूठ छै मीतक भेष झूठे भेल देश छै
    पाप छै पुण्यक बात पुण्ये बनल पाप छै

    द्रोहमे धधकै लोक गामक गाम शोकमे
    सेकतै जे रोटी अपन ओकर तँ ताप छै

    गोर छै चामक रंग आ कारी करेज छै
    गारि छै बोली मीठका प्रवचन शराप छै

    जागि जो बौआ देख दुनियाँ आँखि खोलिकेँ
    चैन नै कखनो ओकरा जे बड खराप छै

    2122-2212-2212-12
    अमित मिश्र
    14 October at 14:13 via mobile · Like · 5
  • Amit Mishra moshayrak samapan bha gel
    17 October at 17:58 via mobile · Like · 1
  • पंकज चौधरी Vijetaak ghoshna kahiyaa haait?
  • Ashish Anchinhar मोशयराक समापन मुदा बहुत रास गजलकार नदारद ????????????
  • Ashish Anchinhar देरी लेल माफी चाहैत छी ऐ बेरुक मने तेसर आन लाइन मोशयराक विजेता छथि श्री अविनाश झा अंशु। अंशु जीकेँ बधाइ---

    गजल

    हरेक समस्या के समाधान बाबूजी ,

    धरतीक साक्षात भगवान बाबूजी ॥

    परेशानी कतबो रहै हुँनका मुदा ,
    राखथि चेहरा पर मुस्कान बाबूजी ॥

    संतानक दुख देख होइत परेशान,
    छथि ह्रदय के बड़ महान बाबूजी ॥

    मेहनत करथि ओ संतानक लेल,
    दथि निस्वार्थ कर्म केर ज्ञान बाबूजी ॥

    पावथि मावन हुँकने सँ पहचान
    ''अंशु'' कहथि सबहक शान बाबूजी ॥

    सरल वार्णिका बहर
    वर्ण - १४
  • Ira Mallick अविनाश झाजी के हमर बहुत बहुत बधाई !
    हुनक लिखल ई गजल सचमुच बहुत नीक अछि।
    23 October at 18:15 via mobile · Like · 1
  • Amit Mishra हार्दिक बधाइ अंशु जी
  • जगदानन्द झा 'मनु' अंशु जीकेँ हार्दिक बधाइ--

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