मंगलवार, 27 नवंबर 2012

गजल

बाल गजल

मेला चलब हमहुँ कक्का यौ
पहिरब आइ सूट पक्का यौ

खेबै जिलेबी आ झूलब झूला
संगे संग किनब फटक्का यौ

बैट किनब क्रिकेट खेलै ले
आबि कऽ खूब मारब छक्का यौ


साझेसँ अखारामे कुश्ती हेतै
पहलवानोँ तँ छै लडक्का यौ

अन्तिम बेर छी एतौ हम तँ
जाएब बाबू लऽग फरक्का यौ

कोरा मे कने लिअ ने हमरा
ई भीड़ मेँ मारि देत धक्का यौ

चलू ने जल्दी किनै ले जिलेबी
नै तँ उड़ि जाएत छोहक्का यौ

बाबूओसँ बेसी अहीँ मानै छी
छी बड्ड नीक हमर कक्का यौ

सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 11
~ ~बाल मुकुन्द पाठक ।।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों