गजल
अहाँ हमरा बिसरि रहलौँ
वियोगे हम तँ
मरि रहलौँ
घुसिकँ कोनाकँ देहेमेँ
अहाँ हमरा पसरि
रहलौँ
बिसरऽ ई लाख चाही हम
बनिकऽ लस्सा लसरि रहलौँ
कियै केलौँ अहाँ ऐना
करेजसँ नै ससरि रहलौँ
छुटल घर आ अहूँ
छुटलौँ
दुखेँ हम आब मरि रहलौँ
बहरे -हजज ।
'मफाईलुन'
(मने 1222) दू बेर ।
~ ~ ~ ~ ~ बाल मुकुन्द पाठक ।।
अहाँ हमरा पसरि रहलौँ
बिसरऽ ई लाख चाही हम
बनिकऽ लस्सा लसरि रहलौँ
कियै केलौँ अहाँ ऐना
करेजसँ नै ससरि रहलौँ
छुटल घर आ अहूँ छुटलौँ
दुखेँ हम आब मरि रहलौँ
बहरे -हजज ।
'मफाईलुन' (मने 1222) दू बेर ।
~ ~ ~ ~ ~ बाल मुकुन्द पाठक ।।
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