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मंगलवार, 13 नवंबर 2012
गजल
चलै चुनमुन चलै गुनगुन तमासा घुमि कए आबी
जिलेबी ओतए छानैत तोहर भेटतौ बाबी
पढ़ैकेँ छुटल झंझट भेल इसकूलक शुरू छुट्टी
दसो दिन राति मेला घुमि कए नव वस्तु सभ पाबी
करीया बनरिया कुदि कुदि कए ढोलक बजाबै छै
चलै चल ओकरा संगे हमहुँ नेन्ना कनी गाबी
बनल मेनजन अछि बकड़ी पबति बैसल अचारे छै
बरद सन बौक दिनभरि चूप्प रहए पहिरने जाबी
बुझलकौ आब तोरो होसयारी 'मनु' तँ बुढ़िया गै
लगोने ध्यान वक कतएसँ सम्पति नीकगर दाबी
(बहरे हजज, 1222 चारि-चारि बेर सभ पांतिमे)
जगदानन्द झा 'मनु'
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बाल गजल
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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