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- शेर जे सभ दिन शेर रहतै
मंगलवार, 17 दिसंबर 2024
उठलै करेजामे दरदिया हो राम - गजल
रविवार, 8 दिसंबर 2024
रुबाइ
पेट पोसै लेल झूठक हर जोतलौं
कारी कोटसँ कोटमे निसाफ ककरा
आँखि बान्हि टाका टक दफ़ा जोखलौं
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
बुधवार, 4 दिसंबर 2024
रुबाइ
नेहमे एतेक लीबैत किएक छी
दुनिया पुछलनि हम जीवैत किएक छी
ई बुझला उत्तर ‘मनु’ अहूँ जुनि पूछू
दिन राति एतेक पीबैत किएक छी
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
जँ हम मरि जाइ कनिको नै अहाँ कानब - गजल
रविवार, 17 नवंबर 2024
प्रेम कलशसँ अमरित अहाँ पीया तँ दिअ - गजल
शनिवार, 26 अक्टूबर 2024
गजल
तारीमे कतए मद जे चाही जीबै लेल
माहुरमे कुन जीवन चाही जे चीखै लेल
बाँकी नै तारीएटा टूटल मनकेँ लेल
जीवनमे एकर बादो बड़ छै पीबै लेल
सिस्टममे फाटल छै मेघसँ धरती धरि कोढ़
एतै कतयसँ दरजी ई सिस्टम सीबै लेल
जीतब हारब सदिखन लगले छै जीवन संग
फेरसँ उठि कोशिश नमहर हेतै जीतै लेल
खेती मोनसँ करबै ‘मनु’ जीवनकेँ तैयार
कर्मक बीया सगरो बहुते अछि छीटै लेल
(बहरे विदेह, मात्राक्रम- 2222-2222-222-21 सभ पाँतिमे)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024
अपने एना अपने मूँह-48
जनवरी २०२३ मे अनचिन्हार आखरपर कुल 5टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदनांद झा मनु केर तीन पोस्टमेसँ १टा गजल, १ टा भक्ति गजल आ १ टा पोस्टमे २५ टा रुबाइ देल गेल अछि। आशीष अनचिन्हार २ पोस्टमेसँ १ टा भक्ति गजल आ १ टा आलेख अछि।
फरवरी २०२३ मे कुल छह टा पोस्ट भेल जाहि जगदानंद झा मनुक २ टा पोस्टमेसँ १ मे गजल आ दोसरमे भक्ति गजल पोस्ट भेल। आशीष अनचिन्हारक चारि पोस्टमेसँ तीनमे गजल आ एकटामे भक्ति गजल देल गेल।
मार्च २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदानंद झा मनुक १ टा गजल अछि।
अप्रैल २०२३ मे कोनो पोस्ट नहि भेल।
मइ २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल अछि।
जून २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदानंद झा मनुक १ टा गजल अछि।
जुलाइ २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल अछि।
अगस्त २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदानंद झा मनुक १ टा गजल अछि।
सेप्टेम्बर २०२३ मे कुल २ टा पोस्ट भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक २ टा गजल अछि।
अक्टूबर २०२३ मे अनचिन्हार आखरपर कुल 5टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदनांद झा मनु केर तीन पोस्टमेसँ १ टा पोस्टमे गजल, दोसर पोस्टमे १ टा रुबाइ, तेसर पोस्टमे १ टा भक्ति रुबाइ अछि। आशीष अनचिन्हारक २ टा पोस्टमे दू टा गजल अछि।
नवम्बर २०२३ मे कुल छह टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदानंद झा मनुक ५ टा पोस्ट अछि जाहिमे २ टा पोस्टमे २ टा भक्ति रुबाइ, २ टा पोस्टमे दू रुबाइ आ १ टा पोस्टमे एक गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक एक पोस्टमे १ टा गजल अछि।
दिसम्बर २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदानंद झा मनुक १ टा गजल अछि।
मंगलवार, 30 जुलाई 2024
गजल
जकरा केलहुँ अपना बुझि
से सभ भागल अनका बुझि
हमरा गेने घाटा छनि
नहिए गेलहुँ दुविधा बुझि
बजने हेतै किछु ने किछु
चुप्पे रहलै खतरा बुझि
असगर रहलहुँ आँगनमे
लोको देखै मजमा बुझि
हेता ओ साँचक मुरती
जनता पहुँचल चमचा बुझि
सभ पाँतिमे 22-22-22-2 मात्राक्रम अछि। ई बहरे मीर अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
शुक्रवार, 5 जुलाई 2024
रुबाइ
मुँह पर दरद आबि जेए ओ मरद नै
हर बहैत जे बसि जेए ओ बरद नै
जिम्मेदारी घरक ल गेल विदेशमे
‘मनु’ केना बुझलक जेए ओ दरद नै
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
रविवार, 28 अप्रैल 2024
गजल
काज पड़िते मुदा सिता गेलै
छै चलनसारि देशमे बहुते
केलहो काज किछु गना गेलै
अंत धरि रोकलहुँ मुदा तैयो
आँखिमे नोर झिलमिला गेलै
ताकमे दुख रहै जे टुटि जेतै
धैर्यमे देखि ओ पिता गेलै
लोक उम्मेद रखने अछि फाजिल
एक हम छी जकर छिना गेलै
सभ पाँतिमे 212-212-1222 मात्राक्रम अछि। किछु पाँतिमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
मंगलवार, 2 अप्रैल 2024
रुबाइ
पागल हम दुनियामे पियार तकै छी
भलमानुस सब सगर वेपार तकै छी
नै कोनो दाम मनुख आ मनुखताकेँ
स्वार्थी लोकसँ ‘मनु’ सरोकार तकै छी
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
रविवार, 31 मार्च 2024
गजल
हम बनब चाहै छलौं की कि बनि गेलौं
प्रेममे प्रियतम अहीँ केर सनि गेलौं
आश जे परिवारकेँ आब नहि रहलै
जेब खाली देख सब हीन जनि गेलै
सुधि रहल नै बोझ लदने अपन हमरा
प्रेम कनिको भेटते हम तँ कनि गेलौं
मोनकेँ भीतर घराड़ी बसल सदिखन
छल लिखल परदेशके देश मनि गेलौं
नेह अप्पन आब नै नेह टा रहलै
मोनमे बसि ‘मनु’ हमर साँस गनि गेलौं
(बहरे कलीब, मात्राक्रम - 2122-2122-1222 सभ पाँतिमे)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
मंगलवार, 26 मार्च 2024
रुबाइ
बिनु अहाँक फगुआ कतेक बेरंग अछि
शेष बचल अहाँक यादेटा संग अछि
एही दुनियासँ जहन अहाँ चलि गेलौं
बुझलौं कतेक कठिन जीवनक जंग अछि
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
शुक्रवार, 8 मार्च 2024
गजल
ॐ
सरल शुद्ध सुंदर महादेव शंकरनिरंकार शंकर महादेव शंकर
ॐ
विरूपाक्ष कैलाश वासी गिरिश्वर
कपाली भयंकर महादेव शंकर
ॐ
जटाजूट गंगा तिलक संग चंदा
बड़द संग अजगर महादेव शंकर
ॐ
भरल भूत आँगन मरल बाघ आसन
सकल काज दुष्कर महादेव शंकर
ॐ
कहींपर सजल छथि कहींपर रचल छथि
कहींपर दिगंबर महादेव शंकर
ॐ
सुनाबथि कहानी सरस बनि भवानी
सहज छथि दयाकर महादेव शंकर
सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि आ ई बहरे मुतकारिब मुस्समन सालिम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
शनिवार, 17 फ़रवरी 2024
गजल
पोथीक तर दबि पढ़ुआ सगर मरि गेल
जे प्रेममे डूबल जीविते तरि गेल
सदिखन जतय मनमे छल डरक आतंक
अबिते अहाँके नव फूल फल फरि गेल
धरती तपल छल जे पानि बिन तरसैत
हथियाक हँसिते बरखा निमन परि गेल
आनक सुखक चिंता बेस अप्पन दुखसँ
डाहसँ कतेको घर तेल बिन जरि गेल
पाथरसँ मनु शाइर बनि रहल अछि आब
तोरासँ जे मृगनयनी नजरि लरि गेल
(बहरे सलीम, मात्रा क्रम - 2212-2221-2221)
जगदानन्द झा ‘मनु’
शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024
गजल
नीक केहन आइ सगरो रीत भेलै
प्रेम जकरा देलियै ओ तीत भेलै
जेब खाली साँझ हम बाजार गेलौं
जे कियो ई बुझलकै भयभीत भेलै
बोल सोहेतै किए ककरो गरीबक
आब धनिकक गाइरो नव गीत भेलै
जन्म भरि गिरगिट जकाँ जे रंग बदलै
ओकरे सभके किए ई जीत भेलै
भाइ भैयारीक मुँह चाटै कुकुर ‘मनु’
लाख सोशल मीडिया पर मीत भेलै
(बहरे रमल, मात्रा क्रम 2122-2122-2122)
जगदानन्द झा ‘मनु’
मंगलवार, 30 जनवरी 2024
गजल
किछु नै कहलक ओ कहियो कऽ
हमहूँ नै बुझलहुँ बुझियो कऽ
दुश्मन यदि हो अपने लोक
रहि सकबै कोना हटियो कऽ
जे जे रहलै हुनका संग
ओकर गिनती नै रहियो कऽ
लिखलहुँ हम जेहन जे पाँति
अपनो नै बुझलहुँ लिखियो कऽ
सारापर करतै जयकार
लेखककेँ नै सुख मरियो कऽ
सभ पाँतिमे 22-22-22-21 मात्राक्रम अछि। ई बहरे विदेह अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
शुक्रवार, 5 जनवरी 2024
गजल
ओ छल सदति दुश्मन मुदा
पहुँचल हमर आँगन मुदा
कोबर भने हो काल्पनिक
छै सत्य ई परिछन मुदा
पसरत जहाँ हिंसा कपट
चौपट तहाँ जीवन मुदा
किछु फर्क हेतै मानि लेल
हम देखलहुँ अनमन मुदा
केने रही बस आस किछु
पाछू रहल परिजन मुदा
हो आइ या की काल्हि धरि
हेबे करत गंजन मुदा
सभ पाँतिमे 2212-2212 मात्राक्रम अछि। ई बहरे बहरे रजज मोरब्बा सालिम अछि। गजलक चरिम शेरक पहिल पाँतिमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।