रविवार, 8 दिसंबर 2024

रुबाइ

आइ हमहूँ खेत बोटीकेँ रोपलौं
पेट पोसै लेल झूठक हर जोतलौं
कारी कोटसँ कोटमे निसाफ ककरा
आँखि बान्हि टाका टक दफ़ा जोखलौं
                ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

बुधवार, 4 दिसंबर 2024

रुबाइ

नेहमे  एतेक  लीबैत किएक छी

दुनिया पुछलनि हम जीवैत किएक छी 

ई बुझला उत्तर ‘मनु’ अहूँ जुनि पूछू 

दिन राति एतेक पीबैत किएक छी 

                  ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

गजल

तारीमे कतए मद जे चाही जीबै लेल

माहुरमे कुन जीवन चाही जे चीखै लेल 

 

बाँकी नै तारीएटा टूटल मनकेँ लेल

जीवनमे एकर बादो बड़ छै पीबै लेल

  

सिस्टममे फाटल छै मेघसँ धरती धरि कोढ़

एतै कतयसँ दरजी सिस्टम सीबै लेल

 

जीतब हारब सदिखन लगले छै जीवन संग

फेरसँ उठि कोशिश नमहर हेतै जीतै लेल

 

खेती मोनसँ करबै ‘मनु’ जीवनकेँ तैयार

कर्मक बीया सगरो बहुते अछि छीटै लेल

 

(बहरे विदेह, मात्राक्रम- 2222-2222-222-21 सभ पाँतिमे)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024

अपने एना अपने मूँह-48

जनवरी २०२३ मे अनचिन्हार आखरपर कुल 5टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदनांद झा मनु केर तीन पोस्टमेसँ  १टा गजल, १ टा भक्ति गजल आ १ टा पोस्टमे २५ टा रुबाइ देल गेल अछि। आशीष अनचिन्हार २ पोस्टमेसँ १ टा भक्ति गजल आ १ टा आलेख अछि।

फरवरी २०२३ मे कुल छह टा पोस्ट भेल जाहि जगदानंद झा मनुक २ टा पोस्टमेसँ १ मे गजल आ दोसरमे भक्ति गजल पोस्ट भेल। आशीष अनचिन्हारक चारि पोस्टमेसँ तीनमे गजल आ एकटामे भक्ति गजल देल गेल।

मार्च २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदानंद झा मनुक १ टा गजल अछि।

अप्रैल २०२३ मे कोनो पोस्ट नहि भेल।

मइ २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल अछि।

जून २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदानंद झा मनुक १ टा गजल अछि।

जुलाइ २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक १ टा गजल अछि।

अगस्त २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदानंद झा मनुक १ टा गजल अछि।

सेप्टेम्बर २०२३ मे कुल २ टा पोस्ट भेल जाहिमे आशीष अनचिन्हारक २ टा गजल अछि।

अक्टूबर २०२३ मे अनचिन्हार आखरपर कुल 5टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदनांद झा मनु केर तीन पोस्टमेसँ  १ टा पोस्टमे गजल, दोसर पोस्टमे १ टा रुबाइ, तेसर पोस्टमे १ टा भक्ति रुबाइ अछि। आशीष अनचिन्हारक २ टा पोस्टमे दू टा गजल अछि।

नवम्बर २०२३ मे कुल छह टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदानंद झा मनुक ५ टा पोस्ट अछि जाहिमे २ टा पोस्टमे २ टा भक्ति रुबाइ, २ टा पोस्टमे दू रुबाइ आ १ टा पोस्टमे एक गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक एक पोस्टमे १ टा गजल अछि।

दिसम्बर २०२३ मे कुल १ टा पोस्ट भेल जाहिमे जगदानंद झा मनुक १ टा गजल अछि।

मंगलवार, 30 जुलाई 2024

गजल

जकरा केलहुँ अपना बुझि
से सभ भागल अनका बुझि

हमरा गेने घाटा छनि
नहिए गेलहुँ दुविधा बुझि

बजने हेतै किछु ने किछु
चुप्पे रहलै खतरा बुझि

असगर रहलहुँ आँगनमे
लोको देखै मजमा बुझि

हेता ओ साँचक मुरती
जनता पहुँचल चमचा बुझि

सभ पाँतिमे 22-22-22-2 मात्राक्रम अछि। ई बहरे मीर अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शुक्रवार, 5 जुलाई 2024

रुबाइ

मुँह पर दरद आबि जेए मरद नै

हर बहैत जे  बसि जेए बरद नै 

जिम्मेदारी घरक गेल विदेशमे 

‘मनु’ केना बुझलक जेए दरद नै

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


रविवार, 28 अप्रैल 2024

गजल

वीर छी हमहीं से सुना गेलै
काज पड़िते मुदा सिता गेलै

छै चलनसारि देशमे बहुते
केलहो काज किछु गना गेलै

अंत धरि रोकलहुँ मुदा तैयो
आँखिमे नोर झिलमिला गेलै

ताकमे दुख रहै जे टुटि जेतै
धैर्यमे देखि ओ पिता गेलै

लोक उम्मेद रखने अछि फाजिल
एक हम छी जकर छिना गेलै

सभ पाँतिमे 212-212-1222 मात्राक्रम अछि। किछु पाँतिमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।  

मंगलवार, 2 अप्रैल 2024

रुबाइ

पागल हम दुनियामे पियार तकै छी

भलमानुस सब सगर वेपार तकै छी

नै कोनो दाम मनुख  मनुखताकेँ

स्वार्थी लोकसँ ‘मनु’ सरोकार तकै छी

   ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु

रविवार, 31 मार्च 2024

गजल

हम बनब चाहै छलौं की  कि बनि गेलौं

प्रेममे प्रियतम अहीँ  केर    सनि गेलौं

 
आश जे परिवारकेँ  आब नहि रहलै

जेब खाली देख सब हीन जनि गेलै

 

सुधि रहल नै बोझ लदने अपन हमरा

प्रेम कनिको भेटते हम तँ कनि गेलौं

          

मोनकेँ भीतर घराड़ी  बसल सदिखन

छल लिखल परदेशके  देश मनि गेलौं                  

 

नेह अप्पन आब नै नेह टा रहलै

मोनमे बसि ‘मनु’ हमर साँस गनि गेलौं

 

(बहरे कलीबमात्राक्रम - 2122-2122-1222 सभ पाँतिमे)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु

 

मंगलवार, 26 मार्च 2024

रुबाइ

बिनु अहाँक फगुआ कतेक बेरंग अछि 

शेष बचल अहाँक यादेटा संग अछि

एही दुनियासँ  जहन अहाँ चलि गेलौं 

बुझलौं कतेक कठिन जीवनक जंग अछि                

                  ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’  

शुक्रवार, 8 मार्च 2024

गजल

 

सरल शुद्ध सुंदर महादेव शंकर
निरंकार शंकर महादेव शंकर


विरूपाक्ष कैलाश वासी गिरिश्वर
कपाली भयंकर महादेव शंकर


जटाजूट गंगा तिलक संग चंदा
बड़द संग अजगर महादेव शंकर


भरल भूत आँगन मरल बाघ आसन
सकल काज दुष्कर महादेव शंकर


कहींपर सजल छथि कहींपर रचल छथि
कहींपर दिगंबर महादेव शंकर


सुनाबथि कहानी सरस बनि भवानी
सहज छथि दयाकर महादेव शंकर

सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि आ ई बहरे मुतकारिब मुस्समन सालिम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

गजल

पोथीक तर दबि पढ़ुआ सगर मरि गेल

जे प्रेममे  डूबल जीविते तरि गेल 

 

सदिखन जतय मनमे छल डरक आतंक 

अबिते अहाँके नव फूल फल फरि गेल


धरती तपल छल जे पानि बिन तरसैत

हथियाक हँसिते बरखा निमन परि गेल

   

आनक सुखक चिंता बेस अप्पन दुखसँ

डाहसँ कतेको घर तेल बिन जरि गेल 

      

पाथरसँ मनु शाइर बनि रहल अछि आब

तोरासँ जे  मृगनयनी  नजरि लरि गेल 

(बहरे सलीममात्रा क्रम - 2212-2221-2221)

जगदानन्द झा ‘मनु

 

शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024

गजल

नीक केहन आइ सगरो रीत भेलै

प्रेम जकरा देलियै  तीत भेलै

 

जेब खाली साँझ हम बाजार गेलौं

जे कियो  बुझलकै भयभीत भेलै

 

बोल सोहेतै किए ककरो गरीबक

आब धनिकक गाइरो नव गीत भेलै

 

जन्म भरि गिरगिट जकाँ जे रंग बदलै

ओकरे सभके किए  जीत भेलै

 

भाइ भैयारीक मुँह चाटै कुकुर ‘मनु

लाख सोशल मीडिया पर मीत भेलै

 

(बहरे रमलमात्रा क्रम 2122-2122-2122)

जगदानन्द झा ‘मनु

मंगलवार, 30 जनवरी 2024

गजल

किछु नै कहलक ओ कहियो कऽ
हमहूँ नै बुझलहुँ बुझियो कऽ

दुश्मन यदि हो अपने लोक
रहि सकबै कोना हटियो कऽ

जे जे रहलै हुनका संग
ओकर गिनती नै रहियो कऽ

लिखलहुँ हम जेहन जे पाँति
अपनो नै बुझलहुँ लिखियो कऽ

सारापर करतै जयकार
लेखककेँ नै सुख मरियो कऽ

सभ पाँतिमे 22-22-22-21 मात्राक्रम अछि। ई बहरे विदेह अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

गजल

ओ छल सदति दुश्मन मुदा
पहुँचल हमर आँगन मुदा

कोबर भने हो काल्पनिक
छै सत्य ई परिछन मुदा

पसरत जहाँ हिंसा कपट
चौपट तहाँ जीवन मुदा

किछु फर्क हेतै मानि लेल
हम देखलहुँ अनमन मुदा

केने रही बस आस किछु
पाछू रहल परिजन मुदा

हो आइ या की काल्हि धरि
हेबे करत गंजन मुदा

सभ पाँतिमे 2212-2212 मात्राक्रम अछि। ई बहरे बहरे रजज मोरब्बा सालिम अछि। गजलक चरिम शेरक पहिल पाँतिमे मान्य छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों