- मुखपृष्ठ
- अनचिन्हार आखरक परिचय
- गजल शास्त्र आलेख
- हिंदी फिल्मी गीतमे बहर
- भजनपर गजलक प्रभाव
- अन्य भारतीय भाषाक गजलमे बहर
- समीक्षा/आलोचना/समालोचना
- गजल सम्मान
- गजलकार परिचय शृखंला
- गजलसँ संबंधित आडियो/वीडियो
- विश्व गजलकार परिचय शृखंला
- छंद शास्त्र
- कापीराइट सूचना
- अपने एना अपने मूँह
- गजलक इस्कूल
- गजलकार
- अर्चा-चर्चा-परिचर्चा
- आन-लाइन मोशायरा
- आशीष अनचिन्हारक रचना संसार
- मैथिली गजलसँ संबंधित आन लिंक, पन्ना ओ सामग्री
- Maithili Ghazal Books Download
- शेर जे सभ दिन शेर रहतै
शुक्रवार, 18 मार्च 2011
ग़ज़ल
मोन प्रपंच पाप सँ दूषित, भाषण जन - समुदाय के
कोना एहन नायक समाज में, परचम बनता न्याय के
कथनी में आदर्श, कलंकित करनी सँ नफरत के पात्र,
कोना समाज एहन व्यक्ति के, शत्रु कहय अन्याय के
किछु दिन संभव अछि चालाकी किन्तु अंत नहिं नीक एकर,
सदा अंत में हारव निश्चित, दानव के पर्याय के
धर्म, सत्य और न्याय-मनुजता, नैं हारल, नैं हारि सकत,
झूठ नैं कखनों बना सकत क्यों, अपन सबहक ऐहि राय के
धर्म अपन अछि - अपना कारण अपन वंश के मान बढय,
कहि नैं पावय क्यो कपूत के जननी अपना माय के
आदर्शक पथ पकडि चलू और करैत रहू कर्त्तव्य अपन,
लक्ष्य इहय बस सर्वोत्तम अछि, बुझू हमर अभिप्राय के
रचनाकार - अभय दीपराज
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
Abhay Deep-Raaj

सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
वाह , वाह , उत्तम जे आशा हम केने छलहु से पूर्ण भेल
जवाब देंहटाएंवाह , नीक , मुदा ज हल्लुक शब्दक प्रयोग केला सं ग़ज़ल में रवानगी आओत |विशेष लिखब फुरसत में
जवाब देंहटाएंhilkor utha deliyai
जवाब देंहटाएंश्रीयुत प्रशांत जी, आशीष जी और गजेन्द्र जी अहाँ सब ग़ज़ल पढि कय हमरा प्रोत्साहित क्यलौं | ऐहि लेल धन्यवाद |
जवाब देंहटाएं