बुधवार, 25 मई 2011

गजल

मालक खातिर माल-जाल बनल लोक
देखाँउसक खातिर कंगाल बनल लोक


भूखक दर्द होइत छैक इजोतो सँ तेज
पेटक खातिर दलाल बनल लोक


वृत टूटल मिलल समानान्तर रेखा
बिनु कागजीक प्रकाल बनल लोक


सत्य-सत्य ने रहल ने रहल फूसि- फूसि
अपनेक लेल अपने जंजाल बनल लोक


सुस्जित आनन चानन ललाट
नुनिआएल देबाल बनल लोक

1 टिप्पणी:

  1. आज वक़्त की ऐसी मार पड़ी कि''लूटल खातिर इन्सान बनल लोक''

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों