भैया खुश ये, बहिना खुश ये
नबका सासुर, पहुँना खुश ये
सिरको में ओ काँपैत रहला
गरीब बिना ओछोना खुश ये
तोशको ग़द्दा नींद नै लाबेए
गरीब बिना बिछोना खुश ये
सुनिलक ग़ज़ल रास नै आबए
तइयो जहिना-तहिना खुश ये
नबका सासुर, पहुँना खुश ये
सिरको में ओ काँपैत रहला
गरीब बिना ओछोना खुश ये
तोशको ग़द्दा नींद नै लाबेए
गरीब बिना बिछोना खुश ये
सुनिलक ग़ज़ल रास नै आबए
तइयो जहिना-तहिना खुश ये
एहि सालक सभ सँ नीक गजल, बधाइ सुनील जी।
जवाब देंहटाएंहमर सौभाग्य...मुदा एतेक पैघ स्थान नै देल जाऊ...अखन हम हिनकर हकदार नै छि...
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