प्रिय चलू संग एकातमे
डुबि रहब मिठगर बातमे
अनसहज नै बुझू लग हमर
आउ बैसू हमर कातमे
अछि बरसि रहल जे मेघ झुमि
भीज जायब ग बरिसातमे
गुन गुना लिअ गजल आइ जुनि
संग मिलि केर सुर सातमे
फेर एहन मिलत नै समय
लिअ मजा प्रेमकेँ मातमे
बहरे – मुतदारिक
© कुन्दन कुमार कर्ण
डुबि रहब मिठगर बातमे
अनसहज नै बुझू लग हमर
आउ बैसू हमर कातमे
अछि बरसि रहल जे मेघ झुमि
भीज जायब ग बरिसातमे
गुन गुना लिअ गजल आइ जुनि
संग मिलि केर सुर सातमे
फेर एहन मिलत नै समय
लिअ मजा प्रेमकेँ मातमे
बहरे – मुतदारिक
© कुन्दन कुमार कर्ण
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