बुधवार, 16 जुलाई 2014

गजल

प्रिय चलू संग एकातमे
डुबि रहब मिठगर बातमे

अनसहज नै बुझू लग हमर
आउ बैसू हमर कातमे

अछि बरसि रहल जे मेघ झुमि
भीज जायब ग बरिसातमे

गुन गुना लिअ गजल आइ जुनि
संग मिलि केर सुर सातमे

फेर एहन मिलत नै समय
लिअ मजा प्रेमकेँ मातमे

बहरे – मुतदारिक

© कुन्दन कुमार कर्ण

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों