मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

गजल

हम रटै छी गोविन्द गिरधारीकेँ
हम तकै छी मुरली मनोहारीकेँ

देवकी वसुदेवक जशोदा नंदक
पूत गोपी वल्लभ जमुन तारीकेँ

जे उबारथि तारथि उठाबथि चाहथि
हम कहै छी तै कंस संहारीकेँ

पूजि ने थकलहुँ हम सुदामा मित्रक
द्रौपदी सत इज्जतक रखबारीकेँ

जै कहैए जमुना कदम्बक गाछो
रास रचि गीता कहि क' भयहारीकेँ


हरे रामा हरे रामा रामा रामा हरे हरे
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे


सभ पाँतिमे 2122+2212+222 मात्राक्रम अछि।अंतिम शेरक बाद पारम्परिक पदक प्रयोग अछि।


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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों