गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

गजल

डूबने बिनु बुझब कोना निशा की छै
प्रेम बिनु केने कि जानब सजा की छै

बसि क’ धारक कात हेलब सिखब कोना
आउ देखी कूदि एकर मजा की छै

नोकरी कय नै कियो धन कमेलक बड़
अपन मालिक बनु तँ एहिसँ भला की छै

आइ अप्पन बलसँ पीएम बनतै ओ
हारि झूठ्ठे ढोल पीटब हबा की छै

रोडपर कोनो करेजक परल टुकड़ा
ओहि छनमे ‘मनु’सँ पुछबै दया की छै  

(बहरे कलीब, मात्रा क्रम, २१२२-२१२२-१२२२)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों