गजल-1.71
हँ सम्भव छै हमर आँखिमे मिसियो पानि नै होइ
असम्भव छै हुनक मोनमे कोनो आनि* नै होइ
सबूतो संग रखियौ बदलबै छै जखन दिल अपन
जखन धरि नजरिकेँ बातकेँ कोनो मानि नै होइ
हमर तोहर कथी छै जगतमे की ककर छै बाज
मरै धरि भोग पाछू धनक छप्पर तानि नै होइ
कुकुर सन जीव जिनगी महलमे बैसल तँ काटैछ
मरै छै वैह जै लोक लऽग कुकुकर बानि* नै होइ
जखन टूटैछ ककरो हिया छिड़िया जाइ छै सगर
हँसब लागैछ भारी "अमित" कनिको कानि नै होइ
*आनि= ईर्ष्या
*बानि= आदत
1222-122-1222-212-21
अमित मिश्र
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शनिवार, 28 दिसंबर 2013
गजल
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amit mishra
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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