सोमवार, 26 मई 2014

गजल

भावनामे बहू नै कखनो
दास मोनक बनू नै कखनो

चित्त एकाग्र राखू सदिखन
घोर चिन्ता करु नै कखनो

मोह माया कऽ बन्धनमे यौ
भुलि कऽ मरितो परु नै कखनो

मीठ बोली सभक लग बाजू
बात कटु सन कहू नै कखनो

बाट जे लक्ष्य धरि नै पहुँचत
ताहि बाटसँ चलू नै कखनो

कर्म आधार छी जिनगीकेँ
दूर एहिसँ रहू नै कखनो

सूत्र छी किछु सफलताकेँ ई
बात व्यर्थक बुझू नै कखनो

मात्राक्रम : 2122-12222

© कुन्दन कुमार कर्ण

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों