आखर आखर जोड़ि जोड़ि क’ जीवनक ग्रन्थ लिखने छी
कोड़ो वाती तोड़ि तोड़ि क’ हम माघक जाड़ तपने छी
रखलौं जगमे पहिल डेग जखन सपना छोड़ि किछु नै छल
बड़ बड़ साँपक एतए धरि आबैमे जहर सहने छी
अप्पन जीवन केर जोड़ घटा सबटा एसगर केलौं
भूखे रहितो पेट हमर मुदा नै किनकोसँ मँगने छी
झोपड़ पट्टी केर भीत बनाबी दिन भरि अपन हाथसँ
दोसर दिन तोरैत लातसँ चण्डालक आँखि तकने छी
दू दूटा अठमासु दूध मुँहा भूखल हमर कोरामे
नै दुख सहि नेनाक देख मुँह प्रभुकेँ ‘मनु’ सुमरने छी
(मात्रा क्रम : २२२२-२१२११-२२२२-१२२२, सभ पांतिमे)
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