हे भोला लिअ अपन शरणमे
नहि किछु भांगट हमर मरणमे
नहि किछु भांगट हमर मरणमे
सबतरि घुरि हम आश हारलौं
नहि छी समरथ अपन भरणमे
नहि छी समरथ अपन भरणमे
मोनक मित सब दूर परल अछि
किछु नहि भेटल पुण्य हरणमे
किछु नहि भेटल पुण्य हरणमे
जीवन भरि हम मुर्ख बनल छी
भेटल सुख भोलाक वरणमे
भेटल सुख भोलाक वरणमे
पापक बोझसँ थाकि गेल छी
‘मनु’केँ लय लिअ अपन चरणमे
‘मनु’केँ लय लिअ अपन चरणमे
(मात्रा क्रम : २२२२-२१-२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
जगदानन्द झा ‘मनु’
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