गजल
बस पात छलै
नै भात छलै
जे आगू छल
से कात छलै
हम साँझ छलहुँ
ओ प्रात छलै
हँसि हँसि बाजल
किछु बात छलै
हारल थाकल
अहिबात छलै
सभ पाँतिमे 2222 मात्राक्रम अछि।
सभ शेरमे दूटा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
बस पात छलै
नै भात छलै
जे आगू छल
से कात छलै
हम साँझ छलहुँ
ओ प्रात छलै
हँसि हँसि बाजल
किछु बात छलै
हारल थाकल
अहिबात छलै
सभ पाँतिमे 2222 मात्राक्रम अछि।
सभ शेरमे दूटा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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