भोरक काग बनि कऽ कुचरल छी हम
हुनकर ठोरपर तँ बिहुँसल छी हम
ओ छथि ठाढ़ गाछ सन आँगनमे
लत्ती फत्ती सन तँ पसरल छी हम
ई जे देखलहुँ पिआसक रेघा
कनियें रुकि कऽ खूब बरसल छी हम
भिन्ने भिन्न मत मतांतर जय हो
टूटल हड्डी सन तँ छिटकल छी हम
असगर देखि आउ नै हमरा लग
अनचिन्हार लेल निहुँछल छी हम
सभ पाँतिमे 2221+2122+22मात्राक्रम अछि।
दोसर आ चारिम शेरक दोसर पाँतिमे दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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