भक्ति
गजल
वसुदेवक
भागसँ एलथि कन्हैया
जसुदाकेँ
जागसँ एलथि कन्हैया
जै
ठामक लोके छल राक्षस सनकेँ
तै
ठाँ बचि नागसँ एलथि कन्हैया
गाए
गोपी बँसुरी बिरदाबन आ
राधाकेँ
तागसँ एलथि कन्हैया
टूटल
आसक डोरी सभहँक तखने
कनियें
उपरागसँ एलथि कन्हैया
वेदक
नामे उपनिषदक बाटे आ
गीता
बैरागसँ एलथि कन्हैया
सभ
पाँतिमे 22-22-22-22-22
मात्राक्रम अछि।
दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।
दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।
ओना
मैथिलीमे भक्ति गजल तँ बड़ दिनसँ अछि मुदा नामाकरण जगदानंद झा मनुक कएल छनि। ई
भक्ति गजल हुनके लेल।
सुझाव
सादर आमंत्रित अछि।
अरे वाह!! ये तो मैथिली में लिखा गया गीत है! बढिया है. कितना अच्छा हो अगर आप इसका न्दी हिअनुवाद भी साथ ही पोस्ट करते.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद| हिंदी अनुवाद करने का प्रयास जारी हैं | मगर यह गीत नही भक्ति गजल हैं | इस ब्लॉग पर केवल गजल ही दिया जाता हैं |
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