सोमवार, 18 अगस्त 2014

गजल

भक्ति गजल

वसुदेवक भागसँ एलथि कन्हैया
जसुदाकेँ जागसँ एलथि कन्हैया

जै ठामक लोके छल राक्षस सनकेँ
तै ठाँ बचि नागसँ एलथि कन्हैया

गाए गोपी बँसुरी बिरदाबन आ
राधाकेँ तागसँ एलथि कन्हैया

टूटल आसक डोरी सभहँक तखने
कनियें उपरागसँ एलथि कन्हैया

वेदक नामे उपनिषदक बाटे आ
गीता बैरागसँ एलथि कन्हैया

सभ पाँतिमे 22-22-22-22-22 मात्राक्रम अछि।
दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।

ओना मैथिलीमे भक्ति गजल तँ बड़ दिनसँ अछि मुदा नामाकरण जगदानंद झा मनुक कएल छनि। ई भक्ति गजल हुनके लेल। 

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।



2 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह!! ये तो मैथिली में लिखा गया गीत है! बढिया है. कितना अच्छा हो अगर आप इसका न्दी हिअनुवाद भी साथ ही पोस्ट करते.

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  2. धन्यवाद| हिंदी अनुवाद करने का प्रयास जारी हैं | मगर यह गीत नही भक्ति गजल हैं | इस ब्लॉग पर केवल गजल ही दिया जाता हैं |

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों