नै अहाँ केर बिसरी नाम हे भगवन
होइ कखनो अहाँ नै बाम हे भगवन
सुख कि भेटे दुखे जीवनक रस्तापर
संगमे रहथि सदिखन राम हे भगवन
हम बनेलौं सिया मंदिर अपन मनकेँ
आब कतए अहाँकेँ ठाम हे भगवन
आन नै आश कोनो बचल जीवनकेँ
अपन दर्शनकटा दिअ दाम हे भगवन
‘मनु’ अहाँकेँ करैए जोड़ि कल विनती
तोड़ि फेरसँ तँ अबियौ खाम हे भगवन
(बहरे मुशाकिल, मात्रा कर्म – २१२२-१२२२-१२२२)
© जगदानन्द झा ‘मनु’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें