शुक्रवार, 10 जून 2011

मास मइ 2011क लेल गजल पुरस्कार योजनाक पहिल चरण

हमरा इ सूचित करैत बड्ड नीक लागि रहल अछि जे " अनचिन्हार आखर"द्वारा स्थापित पुरस्कार " गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" पुरस्कारक पहिल चरण ( मास मइक लेल ) पूरा भए गेल अछि। मास मइक लेल सुनील कुमार झाक एहि रचना के चयन कएल गेलैन्हि अछि। हुनका बाधाइ।

दू टा ग़ज़ल


(१)
हुनका सों हँसि के बाजलों ते हल्ला मचि गेल
हुनक मुँह दिस ताकलों तs हल्ला मचि गेल

रूपक चन्द्रमा के कारी अमावस केने रही
चमकैत पूर्णिमा के देलों तs हल्ला मचि गेल

ओ नैनक कटार से सबके ये घायल केने
हम नजैर से जे ताकलों तs हल्ला मचि गेल

हुनक रूपक लाइट भक्क-भक्क जरैत ये
सबहक डिबिया मिझेलों तs हल्ला मचि गेल

ओ आँखिक इशारा जे मारलक मुंडेर पर
हम फाँदि गेलों जे देबार तs हल्ला मचि गेल

अहों लिखूं ग़ज़ल ओ कहैत रहे सदिखन
करिया कलम जेs उठेलों तs हल्ला मचि गेल

(२)

चमरपट्टी में गाय मरल ते कोनो बात नै
बभनपट्टी में बेंग मरल हल्ला मचि गेल

हमर झोपड़ी खसाs के ओ महल बना लेलाs
फेर से दुछत्ती जे बनेलों ते हल्ला मचि गेल

ओ नोटक जोड़ पर बड़का नेता बनि गेल
हमर ईमान नै बिकल ते हल्ला मचि गेल

विदेशो में रहि, नै बिसरल अपन माँटि के
एता गामों में बाजलों मैथिली हल्ला मचि गेल

नै बिसरब अपन माँटि के करियों ई प्रण
जे सुनलक हमर ई गोप हल्ला मचि गेल






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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों