शुक्रवार, 24 जून 2011

गजल


ओङठल आँखि ताकैए कहू की करी
नै बुझलौं तमसाइए कहू की करी


ज्ञानी बनै लेल जाइदेश छोड़ने
ई मोन जे पथराइए कहू की करी


धानी रंगक आगि पियासल किए छै
धाना निश्छल हिलोरैए कहू की करी


धान छै खखरी बनल अहिठाम आ
धानी आगि जे लहकैए कहू की करी


आगिसंगी पानि अजगुत देखल
धौरबी बनल सोचैए कहू की करी


ऐरावत धोधराह धुधुनमुहाँ नै
रि फाहा बनि जैए कहू की करी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों