मोन करैए अँहाक कोरा मे सूती
निशा भरल आँखि मे बेर-बेर डूबी
जहिआ सँ देखलहुँ अँहाक सुन्नरि रुप
की कहू सजनी सुतली राति मे उठी
मोन करैए अँहाक कोरा मे सूती
निशा भरल आँखि मे बेर-बेर डूबी
जहिआ सँ देखलहुँ अँहाक सुन्नरि रुप
की कहू सजनी सुतली राति मे उठी
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