सोमवार, 6 जून 2011

 गजल

होइत छैक बरखा आ रे बौआ
कागतक नाह बना रे बौआ

देखिहें घुसौ ने चोरबा घर मे
हाथ मे ठेंगा उठा रे बौआ

तोरे पर सभटा मान-गुमान
माएक मान बढ़ा रे बौआ

छैक गड़ल काँट घृणाक करेज मे
प्रेम सँ ओकरा हटा रे बौआ

नहि झुकौ माथ तोहर दुशमन लग
देशक लेल माथ कटा रे बौआ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों