जे काल्हि तक हमर नसीब छल।
ओ आब नाञ हमर करीब छल॥
ई दुनिया के रीत के लग से देखू।
रूप हिनकर बड़ा अजीब छल॥
ओ छल से आय धनिक बनि गेल।
जे काल्हि तक बड़का गरीब छल॥
बेटा के लेल करलों कोबला-पाती।
बेटी भेला पर बदनसीब छल॥
विधना के रीत की हम फरछाबी।
ई शुरूए से हमर नसीब छल॥
ओ आब नाञ हमर करीब छल॥
ई दुनिया के रीत के लग से देखू।
रूप हिनकर बड़ा अजीब छल॥
ओ छल से आय धनिक बनि गेल।
जे काल्हि तक बड़का गरीब छल॥
बेटा के लेल करलों कोबला-पाती।
बेटी भेला पर बदनसीब छल॥
विधना के रीत की हम फरछाबी।
ई शुरूए से हमर नसीब छल॥
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