रविवार, 5 जून 2011

 गजल

कानए लागल पात नुका कए राति मे
खीजए लागल पात नुका कए राति मे

बेशर्मीक हद टपि गेल केओ ने कहलक
हूथए लागल पात नुका कए राति मे

नहि छैक पाइ जे कराओत इलाज दर्दक
कूथए लागल पात नुका कए राति मे

अपने सँ नजरिबंद हम रंग-महल मे
देखए लागल पात नुका कए राति मे

सुआद लगलैक खाली शोणित केर
चुसए लागल पात नुका कए राति मे

अनचिन्हार देह-दरसक रहस्य बूझल
छूबए लागल पात नुका कए राति मे

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों