घुस जाल-फरेब तिलक-दहेज़ उत्पिरण अत्याचार नहि बदलल
समूचा संसार बद्लिगेल आखिन धरि बिहार नहि बदलल
जाती-पांतिक भेद नहि बदलल समाजक आधार नहि बदलल
कोषिक धार बदलिगेल मित! जिवन धार नहि बदलल
महाभारत भेल"यातोधर्मस्तातो जय:"कहल जैत छै मुदा
छल-प्रपंच आ भाई-भाई मे वैमनास्यक बिचार नहि बदलल
हजारो द्रोपदी"दुःख हरहूँ द्वारिकानाथ"के रट लगौने छथि
आखी फारीक'देखियौंन करोड़ो पांडवक सुख-संसार नहि बदलल
सूरज नहि हम अन्हारक बिरोधी छी तें मन मे कचोट शेष अछि
पुर्निमाक रति पर"दीपक"आमावासयाक अन्हार नहि बदलल
समूचा संसार बद्लिगेल आखिन धरि बिहार नहि बदलल
जाती-पांतिक भेद नहि बदलल समाजक आधार नहि बदलल
कोषिक धार बदलिगेल मित! जिवन धार नहि बदलल
महाभारत भेल"यातोधर्मस्तातो जय:"कहल जैत छै मुदा
छल-प्रपंच आ भाई-भाई मे वैमनास्यक बिचार नहि बदलल
हजारो द्रोपदी"दुःख हरहूँ द्वारिकानाथ"के रट लगौने छथि
आखी फारीक'देखियौंन करोड़ो पांडवक सुख-संसार नहि बदलल
सूरज नहि हम अन्हारक बिरोधी छी तें मन मे कचोट शेष अछि
पुर्निमाक रति पर"दीपक"आमावासयाक अन्हार नहि बदलल
वाह बहुत नीक , एनाहिते लिखैत रहू |
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