की कहबै, कोना कहबै, जे बुझतै ओ लुझतै ओ
आँखिक नोर खसतै, खन रूसतै-बिहुसतै ओ
दाबी देखेतै आ हम देखबै नुका कऽ अँचरासँ
बहरा जाइ छी घबरा कऽ, नै ताकै ओ ने बाजै ओ
देखितिऐ अँचरासँ, आ बहरा जैतौं दुअरासँ
मोनसँ बेसी उड़ै चिड़ै, चिड़ैक मोन बनतै ओ
बनि माँछ अकुलाइ छी बाझब जालमे कक्खन
जँ फँसि त्राण पाएब आँखि बओने से देखतै ओ
चम्मन फूल भमरा, गुम्म, जब्बर, छै सोझाँ ठाढ़
जलबाह सोझाँ माँछ, ऐरावत बनल, देखै ओ
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