मंगलवार, 22 मार्च 2011

गजल

अनकर मचान पर, आशीष जी के दालान पर,
मिथिला के शान पर लिखय लए तैयार छि
.

गामक गोप के, गामक लोग लए,

गामक भाषा में,परसय लए तैयार छि


मिथिला के रंग के, मैथिल के ढंग के,
मिथिला के मंच पे आनय लए तैयार छि
,


मिथिला के गोप से, मैथिल के ढ़ोब से,

नै अनचिन्हार छि, हम 'झा' सुनील कुमार छि
..






2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत नीक सुनील जी , मुदा आहा एकरा गीत जका देने छलियैक से हम एकरा गजल बना देलियैक , आशा अछि जे आरो गजल लिखब

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  2. naisargik pratibha achhi sunil ji, barabar likhai rahoo, bad neek gazal banal achhi

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों