शुक्रवार, 30 मई 2014

गजल


सजि क' एलै इजोरिया के फूल
प्राण झिकतै इजोरिया के फूल

बीछि लिअ रौद मोन भरि आँगनमे
हम तँ बिछबै इजोरिया के फूल

अंतमे संग लेल हमहीँ ठीक
छोड़ि भगतै इजोरिया के फूल

खूब बेचू अहाँ हँसी के भेद
नोर किनतै इजोरिया के फूल

जागि गेलै इयाद सभ चुपचाप
फेर कनतै इजोरिया के फूल

सभ पाँतिमे 2122+121222+1 मात्राक्रम अछि।

दोसर शेरक पहिल पाँतिक अंतिम दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

बुधवार, 28 मई 2014

गजल

गजल

बस पात छलै
नै भात छलै

जे आगू छल
से कात छलै

हम साँझ छलहुँ
ओ प्रात छलै

हँसि हँसि बाजल
किछु बात छलै

हारल थाकल
अहिबात छलै

सभ पाँतिमे 2222 मात्राक्रम अछि।

सभ शेरमे दूटा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

सोमवार, 26 मई 2014

गजल


हे भोला लिअ अपन शरणमे
नहि किछु भांगट हमर मरणमे

सबतरि घुरि हम आश हारलौं 
नहि छी समरथ अपन भरणमे

मोनक मित सब दूर परल अछि
किछु नहि भेटल पुण्य हरणमे 

जीवन भरि हम मुर्ख बनल छी
भेटल सुख  भोलाक वरणमे

पापक बोझसँ थाकि गेल छी  
‘मनु’केँ लय लिअ अपन चरणमे

(मात्रा क्रम : २२२२-२१-२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’  

गजल

भावनामे बहू नै कखनो
दास मोनक बनू नै कखनो

चित्त एकाग्र राखू सदिखन
घोर चिन्ता करु नै कखनो

मोह माया कऽ बन्धनमे यौ
भुलि कऽ मरितो परु नै कखनो

मीठ बोली सभक लग बाजू
बात कटु सन कहू नै कखनो

बाट जे लक्ष्य धरि नै पहुँचत
ताहि बाटसँ चलू नै कखनो

कर्म आधार छी जिनगीकेँ
दूर एहिसँ रहू नै कखनो

सूत्र छी किछु सफलताकेँ ई
बात व्यर्थक बुझू नै कखनो

मात्राक्रम : 2122-12222

© कुन्दन कुमार कर्ण

गजल

बाल गजल

जाइंग द गाछीमे चुप्पे चुप्पे
नाचिंग द गाछीमे चुप्पे चुप्पे

खोलिंग द बरतन लेइंग द चिन्नी
खाइंग द गाछीमे चुप्पे चुप्पे

मारिंग द लाठी फोरिंग द माथा
भागिंग द गाछीमे चुप्पे चुप्पे

हगनी मुतनी आ छेछरिया कटनी
पादिंग द गाछीमे चुप्पे चुप्पे

बात घरैया सभ हो की छौंड़ीकेँ
बाजिंग द गाछीमे चुप्पे चुप्पे

सभ पाँतिमे 22222+22222 मात्राक्रम अछि

अधिकांश पाँतिमे दूटा अलग-अलग लघुकेँ एकटा दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि

मंगलवार, 20 मई 2014

गजल

हुनका चाही काबा काशी
हमरा चाही लबनी पासी

हँसि हँसि गाबै माँलक बनियाँ
उजड़ल उपटल गामक चासी

उज्जर निरमल चकमक चकमक
कारी कारी मोनक वासी

बड़ भारी अछि नामक महिमा 
तैयो दरसन के अभिलाषी

चूबै अमरित हुनकर ठोरसँ
पी पी बनलहुँ हम अविनाशी

सभ पाँतिमे 22+22+22+22 मात्राक्रम अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

सोमवार, 19 मई 2014

गजल

भक्ति गजल

शिव शंकर भोला हे प्रभु
लिअ भांगक गोला हे प्रभु

टहलू भूतक संगे अहाँ
गौरी के टोला हे प्रभु

बड़का चुप्पा छै गण हिनक
नंदी बड़बोला हे प्रभु

भूतक बरियाती संग छै
बस साँपक डोला हे प्रभु

आत्मा गौरी शिव देह सम
छै सभहँक चोला हे प्रभु

सभ पाँतिमे 222+222+12 मात्राक्रम अछि।

पाँतिक अंतिम लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि।


शुक्रवार, 16 मई 2014

गजल



जल्दीसँ लगबियौ बंसीमे बोर बाबा
बीतत समय तँ भेटत बस अंगोर बाबा

मारल छलहुँ पिआरक की निंदक पता नै
नहिये पता चलल जे भेलै भोर बाबा

नै कहब नै कहू हमरा दुनियाँ बुझैए
जे कोन धनसँ सुड़कै छी नित झोर बाबा

रटि वेद आ कुरानक आखर बिसरलहुँ हम
खाली इयाद रहलै हुनकर ठोर बाबा

पिच छै क्रिकेटकेँ अवसर आएत नै फेर
सिक्सक भरोसपर नै छोड़ू फोर बाबा

सभ पाँतिमे 2212+1222+2122+2 मात्राक्रम अछि।
अंतिम शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघु अतिरिक्त लघु अछि घुटक तौरपर।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।


गुरुवार, 15 मई 2014

गजल



तिताइन हँसी
बिसाइन हँसी

छी वैष्णव मुदा
मछाइन हँसी

पसरि गेल छै
खराइन हँसी

पिबै छी अहाँ
खटाइन हँसी

हमर ठोरपर
सड़ाइन हँसी

सभ पाँतिमे 122+12 मात्राक्रम अछि।
दोसर शेरक पहिल पाँतिक पहिल शब्दकेँ लघु मानि लेबाक छूट लेल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

सोमवार, 12 मई 2014

गजल

बाल गजल


आमुन बेटी जामुन बेटी
लिच्ची सनकेँ दारुन बेटी

सरदी गरमी पुरबा पछबा
सावन भादव फागुन बेटी

धो पोछि क' सगरो चमकाबै
आँगन बासन साबुन बेटी

अनका घरकेँ पोसै पालै
हमरा घरकेँ पाहुन बेटी

सभहँक उप्पर जूति चलेतै
कानन बाजन कानुन बेटी


सभ पाँतिमे 222+222+22 मात्राक्रम अछि।
तेसर आ अंतिम शेरक पहिल पाँतिमे दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। तेनाहिते मूल शब्द "कानून" छै मुदा काफिया ओ लयकेँ रक्षा करैत "कानुन" कहल गेल अछि।
दारुण लेल दारुन कहल गेल अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

शनिवार, 10 मई 2014

गजल

लाठी लेने घूमै बौआ
सदिखन हल्ला मचबै बौआ

बाबा बूलथि नहुँए नहुँए
आगू आगू भागै बौआ

राखल छै चिन्नी कोनामे
सभटा लिल्ला जानै बौआ

रूसै फूलै कानै बाजै
झटपट तैयो मानै बौआ

ने पढ़तै ने लिखतै खाली
भरि भरि थारी खेतै बौआ

सभ पाँतिमे 222+222+22  मात्राक्रम अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

शुक्रवार, 9 मई 2014

गजल

बाल गजल

कुक्कुर भूकै गाछीमे
तेल लगा ले लाठीमे

भैंसी गैया सभ संगे
मोन लगैए पाठीमे

हमरो हेतै दाढ़ी मोछ
केशो हेतै छातीमे

नै चाही सुइटर फुइटर
गर्मी लागै गाँतीमे

ठकना फेकू मखना सभ
भगलै मारा मारीमे

सभ पाँतिमे 222+222+2 मात्राक्रम अछि।
पहिल आ दोसर शेरक दोसर पाँतिमे दूटा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। संगे संग तेसर शेरक पहिल पाँतिक अंतमे एकटा अतिरिक्त लघु केर छूट लेल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

बुधवार, 7 मई 2014

अपने एना अपने मूँह-26



अप्रैल २०१४मे अनचिन्हार आखरपर कुल १७टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि--

जगदानंद झा मनु, अमित मिश्रक १-१टा पोस्टमे १-१टा गजल आएल।
कुंदन कुमार कर्णजीक २टा पोस्टमे २टा गजल आएल।
आशीष अनचिन्हारक १३टा पोस्टमे--
६टा गजल, २टा भक्ति गजल,३टा बाल गजल,१टा अपने एना अपने मूँह आ १टा पोस्टमे गजलकार परिचय अछि

मंगलवार, 6 मई 2014

गजल



आखर आखर जोड़ि जोड़ि कजीवनक ग्रन्थ लिखने छी
कोड़ो वाती तोड़ि तोड़ि कहम माघक जाड़ तपने छी

 
रखलौं जगमे पहिल डेग जखन सपना छोड़ि किछु नै छल
बड़ बड़ साँपक एतए धरि आबैमे जहर सहने छी

 
अप्पन जीवन केर जोड़ घटा सबटा एसगर केलौं
भूखे रहितो पेट हमर मुदा नै किनकोसँ मँगने छी

 
झोपड़ पट्टी केर भीत बनाबी दिन भरि अपन हाथसँ
दोसर दिन तोरैत लातसँ चण्डालक आँखि तकने छी

 
दू दूटा अठमासु दूध मुँहा भूखल हमर कोरामे
नै दुख सहि नेनाक देख मुँह प्रभुकेँ मनुसुमरने छी

 
(मात्रा क्रम : २२२२-२१२११-२२२२-१२२२, सभ पांतिमे)

 

रविवार, 4 मई 2014

गजल

2.41
सुनहट फेर सगरो गाममे साँझ नै पड़ल
शाइत ताग नेहक टूटि कऽ स्वर्ग धरि चलल

मूरत माँटि सन बनि गेल माँउसक गरम तन
ने किछु फूटि रहल स्वर, ने स्वर सुनि रहल

चुप्पी लाधि बैसल अछि विपिनमे अवोध पशु
कोनो जालमे हिरणक सकल कुटुम अछि फसल

चमचम चीज जे बेसी पलटि दैछ किरणकेँ
कनिञे चमक कम राखू तँ जिनगी बनत सरल

ममता देब कतबो ढारि फइदा कहाँ "अमित"
डिबिया काल्हि ने परसू मिझा रहत, अछि बुझल

2221-2221-2212-12
अमित मिश्र

गुरुवार, 1 मई 2014

गजल



लबनी फुटैए सपनामे
पासी हँसैए सपनामे

काजरसँ पाथर पिघलल छै
टप टप चुबैए सपनामे

जागल मनोवृति सैंतल जे
बहसल लगैए सपनामे

सोहाग एहन अछि चमकल
सपना अबैए सपनामे

चिन्हार अनचिन्हारक संग
गरदनि कटैए सपनामे


सब पाँतिमे 2212+2222 मात्रा क्रम अछि।

अंतिम शेरक पहिल पाँतिकेँ अंतमे अतिरिक्त लघु लेबाक छूट लेल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

रुबाइ

भिमन्यु जकाँ   चक्रव्यूहमे फसलौं 
नै बचब सिख हम अर्जुन बनि पेएलौं 

'मनुजीवनकेँ   एही  महाभारतमे
सगरो ठार हम कौरव के देखलौं

            ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’ 

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों