रविवार, 27 अप्रैल 2014

गजल

हमर रचना एखन धरि काँच अछि
मुदा जे अछि से सब टा साँच अछि

अहाँ उगलै छी ज्वाला बाटपर
हमर घर शब्दक लहरल आँच अछि

पिछरि रहलै रिश्ता मनुखक बहुत
लगै छै सगरो समतल खाँच अछि

रसे-रस रथ घुसकत मिथिलाक यौ
अहाँ सिखबू बरु पाठक पाँच अछि

हमर नामे सप्पत खा ले "अमित"
हमर सत हमरे झूठक जाँच अछि


*खाँच= खाधि ।चेनकेँ नचेबाक लेल पैडिलक जेहन बनाबट होइत अछि ।
1222-2222-12
अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों