बुधवार, 23 अप्रैल 2014

गजल

कत' के कनियाँ कोने महफा हो राम
कत' के समधी कोने दुल्हा हो राम

देहक कनियाँ कर्मक महफा हो राम
सत समधी दुल्हा परमात्मा हो राम

किनकर हाथें सोहागिन बनलहुँ हम तँ
कोने सेनुरबा छै सोभा हो राम

हम जम हाथें सोहागिन भेलहुँ आइ
नोरक सेनुरबा छै शोभा हो राम

सभकेँ भेटै कर्मक फल अपने मोने
गाबै निरगुण अनचिन्हरबा हो राम

सभ पाँतिमे 222+222+222+21मात्राक्रम अछि।

अंतिम शेरक पहिल पाँतिक अंतिम दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों