गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

गजल

बादलमे नुका जाइ छैक चान किए
अप्पन एतऽ बनि जाइ छैक आन किए

करबै नेह जे केकरो अपार हियसँ
तकरो बाद घटि जाइ छैक मान किए

राखब बात जे दाबि मोनकेँ कहुना
सभकेँ लागिये जाइ छैक भान किए

चाहब जे रही खुश सदति हँसैत मुदा
ई फुसि केर बनि जाइ छैक शान किए

कुन्दन कल्पनामे गजल कहैत चलल
सभ बुझि लेलकै प्रीत केर गान किए

मात्राक्रम: 2221-2212-12112

© कुन्दन कुमार कर्ण

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों