अनचिन्हार आखर
A Research Blog On Maithili Ghazal & Sher-o- Shayari
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
सोमवार, 14 अप्रैल 2014
गजल
कंच संग कंचन छै
हारि संग वंदन छै
बिख ल' नाचि उठलहुँ हम
दर्द केर मंथन छै
साँप घुमि रहल सौंसे
लग लगीच चंदन छै
ठोर चूमि कहलक ओ
प्रेम पाप भंजन छै
नोर खसि पड़ल जैठाँ
भूमि ओ तँ कुंदन छै
सभ पाँतिमे 21+2122+2 मात्राक्रम अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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