करेजामे हमर साजन आबि गेलै
मनक सभ तार बटगबनी गाबि गेलै
हुनक मुस्कीसँ सगरो दुनियाक सम्पति
करेजा जानि नै कोना पाबि गेलै
बलमकेँ दर्द जानि कए मोन कनिको
कतेक दुख अपन चट्टे दाबि गेलै
बनेलहुँ अपन जखनसँ संगी बलमकेँ
जिला भरि केर लोकक मुँह बाबि गेलै
बसने छलहुँ मन मंदिरमे जिनक छबि
दया भगवानकेँ ‘मनु’ ओ पाबि गेलै
(बहरे करीब, मात्रा क्रम : १२२२-१२२२-२१२२)
© जगदानन्द झा ‘मनु’
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