मंगलवार, 7 अक्तूबर 2014

गजल

बड़का बड़का दाबी छै
हम पंडित ओ पापी छै


हपसै सभ निकगर भोजन
हमरे लागल जाबी छै

हम्मर नूआ सस्ता सन
हुनकर नूआ दामी छै

खुलबे करतै ताला ई
हमरा लग ओ चाभी छै

अन्हारक संगे डिबिया
असगर बैसल बाती छै

सभ पाँतिमे 222+222+2 मात्राक्रम अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि

1 टिप्पणी:

  1. वाह बहुत सुंदर और मन को छूती गजल ---
    सादर


    आग्रह है मेरे ब्लॉग में शामिल हों

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों