कत्तौ बलुआ माटि खा नै होइए
दाहीजरती देखि हिलोरै-ए मेघ
भगजोगनी भकरार जा नै होइए
टिप्पणी: रुबाइ:
रुबाइक चतुष्पदीमे पहिल दोसर आ चारिम पाँती काफिया युक्त होइत अछि; आ मात्रा २० वा २१ हेबाक चाही।
रुबाइमे मात्रा २० वा २१ राखू। रुबाइक सभ पाँतीक प्रारम्भ दू तरहे शुरू होइत अछि- १.दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ (मफ–ऊ–लु ।।U )सँ वा २.दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व (मफ–ऊ–लुन ।।।) सँ। ओना फारसी रुबाइमे पाँती सभ लेल प्रारम्भक आगाँक ह्रस्व-दीर्घ क्रम निर्धारित छै, मुदा मैथिली लेल अहाँ २०-२१ मात्राक कोनो छन्द जे १.दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ (मफ–ऊ–लु ।।U )सँ वा २.दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व (मफ–ऊ–लुन ।।।) सँ प्रारम्भ होइत हो, तकरा उठा सकै छी। पाँती २० वा २१ मात्राक हेबाक चाही, (मफ–ऊ–लु ।।U ) वा (मफ–ऊ–लुन ।।।) सँ प्रारम्भ हेबाक चाही।
मुदा एक रुबाइक वाक्य सभक बहर वा छन्द/ लय एकसँ बेशी तरहक भऽ सकैए।
आन चतुष्पदी जाइमे पहिल दोसर आ चारिम पाँती काफिया युक्त होइत अछि मुदा मात्रा २०-२१ नै हुअए आ पाँती (मफ–ऊ–लु ।।U ) वा (मफ–ऊ–लुन ।।।) सँ प्रारम्भ नै हुअए से रुबाइ नै मुदा "किता/कतआ"क परिभाषामे अबैत अछि।
रुबाइक चतुष्पदीक चारिम पाँती भावक चरम हेबाक चाही।
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