शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

गजल

जादू-मंतर मारि देलकै ओ जाइत-जाइत
मोन केकरो हरि लेलकै ओ जाइत-जाइत

जकरा अबिते भोर आबि गेलैक ठोर पर
आँखि मे साँझ आनि देलकै ओ जाइत-जाइत

हाथ जकर थरथराइत छलैक फूलो तोड़बा सँ
कोमल-करेज तोड़ि देलकै ओ जाइत-जाइत

उखरल छलैक सुलबाइ मुदा तैओ
आँकर-पाथर पचा लेलकै ओ जाइत-जाइत

अनचिन्हारक ठोर मे सटलै अनचिन्हारक ठोर
मुदा मुँह घुमा लेलकै ओ जाइत-जाइत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों